चालक ( कन्डक्टर ) - वह प्रदार्थ जिससे इलेक्ट्रिक करंट आसानी से गुजर सके चालक कहलाता है । जिन चालकों पर विधुत प्रतिरोधक प्रदार्थों की एक या एक से अधिक परत चढ़ी होती है उन्हें इन्सुलेटिड कंडक्टर कहते है ।
अर्द्धचालक - सेमि कंडक्टर - वह प्रदार्थ जो न तो अच्छे चालक होते है और न ही अच्छे कुचालक सेमि कंडक्टर कहलाते है । यह कम कम ताप पर चालक की भांति कार्य करते है और अधिक तापमान पर कुचालक बन जाते है । यह एक प्रतिरोधक एलॉय तथा मिश्रित एलॉय है ।
एक अच्छे चालक में निम्न लिखित गुण विद्यामान होने चाहिए -
1 कम विशिष्ट प्रतिरोध ।2 जंग के प्रभाव से मुक्त ।3 चादर बनाने योग्य ।4 अधिक यांत्रिक शक्ति ।5 अधिक गलनांक बिंदु ।6 आसानी से उपलब्धता ।7 कम कीमत ।8 तार खीचने योग्य ।9 सोल्डर किये जाने योग्य ।10 प्रचुर मात्राप्रथम 5 अधिक चालकता वाले चालक -1 चांदी2 ताँबा3 सोना4 एल्युमीनियम5 ज़िंक
कुछ अर्द्धचालकों की बनावट -
1 यूरेका - 40% निकल 60% ताँबा2 नाइक्रोम - 80% निकल 20% क्रोमिय3 मैग्नीन - 84% ताम्बा 12% मैग्निन 4% निकल4 जर्मन सिल्वर - 60% ताम्बा 15% निकल 25% जिंक ।5 कैंथोल - 50% क्रोमियम 30% निकल 20% आयरन ।6 प्लैटिनाइड - 64% ताँबा 15% निकल 20% ज़िंक 1% टंगस्टन7 कार्बन - कार्बन एक ऐसी धातु है जिसकी सपैसिफिक रेजिस्टेंस अधिक होती है और इसकी रेजिस्टेंस तापमान बढ़ने पर घटती है और तापमान घटने पर बढ़ती है ।
अर्धचालकों के गुण -
1 अर्द्धचाक हलके तथा छोटे होते है ।2 दक्षता अधिक होती है ।3 वातावरण के प्रभाव से मुक्त होते है ।4 कम विधुत खर्च करते है ।
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